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लक्षण

गर्भावस्था में उल्टियाँ होना इसके प्रारंभिक लक्षणों में से एक है| पर लगातार उल्टियाँ होने से शरीर में और भी लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे:

  • भूख में कमी
  • तनाव
  • भोजन से अरुचि
  • डिहाइड्रेशन , कमजोरी और आलस्य
  • वजन में कमी
  • कीटोसिस – एक गंभीर स्थिति जब अत्यधिक उल्टी के कारण रक्त और मूत्र में कीटोन्स (एक जहरीला रसायन) की मात्रा बढ़ जाती है|

यह बिलकुल जरुरी नहीं की हर गर्भवती स्त्री में ये लक्षण पाए जाएँ| कुछ मामलों में मॉर्निंग सिकनेस की समस्या गंभीर हो सकती है और गर्भवती को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ सकती है|


डॉक्टर से कब संपर्क करें?

कभी-कभी मॉर्निंग सिकनेस जैसी साधारण सी स्थिति भी इतनी गंभीर हो जाती है की आपको डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता पड़ सकती है| इन स्थितियों में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए यदि:

  • पूरे दिन उल्टियाँ होती रहती हैं और आप कुछ भी खा-पी नहीं पाते|
  • आपकी उल्टी का रंग भूरा है या उसमे खून या खून के धब्बे दिखाई दे रहे हैं|
  • आपको सिरदर्द, वजन कम होना, चक्कर आना और मूत्र कम होना जैसी समस्याएं हैं|
  • आप गंध के प्रति बहुत संवेदनशील हैं|
  • आपके दिल की धड़कन की गति, थकान और अरुचि बढ़ गयी है|
  • आपको गर्भावस्था के चौथे महीने में भी बहुत ज्यादा उल्टियाँ हो रही हैं|
  • आपका वजन बढ़ने की बजाय घट रहा है|
  • आपको पेट में दर्द, बुखार, सर दर्द या गर्दन के आसपास सूजन की शिकायत हो|

आपकी पूर्ण जांच करने के बाद आपके डॉक्टर आपकी स्थिति की गंभीरता के अनुसार उपचार बता सकते हैं|


गर्भावस्था में मितली और उल्टी के लिए कौन-कौन से उपचार हैं?

मॉर्निंग सिकनेस के उपचार में निम्न उपचार शामिल हैं:

  • ज्यादा उल्टियां होने से डिहाइड्रेशन हो जाता है इसके कारण शरीर में संतुलन बनाये रखने के लिए आपके शरीर में नसों के माध्यम से ग्लूकोस चढाया जा सकता है|
  • आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए नेसोगैस्ट्रिक फीडिंग का सहारा लिया जा सकता है| इस प्रक्रिया में एक ट्यूब आपके नाक के रास्ते होते हुए पेट में डाली जाती है जिसके सहारे पोषक तत्वों को अन्दर पहुँचाया जाता है|
  • टोटल पैरेंटरल न्यूट्रीशन अर्थात मुख्य एवं संतुलित पोषण को नसों के माध्यम से शरीर के अन्दर पहुँचाना| इस उपचार का लक्ष्य कुपोषण को रोकना और किसी विशेष स्थिति का इलाज करना है|
  • हाइप्नोसिस रोगी में अनैच्छिक मानसिक परिवर्तनों को नियंत्रित करने में मदद करता है| यदि गर्भवती महिला किसी मानसिक अवसाद से गुजर रही है तो उसकी काउंसिलिंग करवाना सर्वथा उचित है|

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको अपनी स्थिति अच्छी नही लग रही है, भले ही कोई साधारण सा ही कारण हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेने से न हिचकिचाएं| जब आप शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी तभी आप एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं| उल्टी और मितली को रोकने के लिए आप दादी-नानी के नुस्खों को भी आजमा सकती हैं|

dihaaidreshan

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