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किड्स टोडलर बेबी

हँसते-खिलखिलाते बच्चे किसे नहीं अच्छे लगते| सभी यही चाहते हैं की उनका बच्चा स्वस्थ और हँसता हुआ रहे| सभी शिशु अपनी भावनाओं को रो क्र या हंस क्र व्यक्त क्र पाते हैं| उनके रोने का मतलब ज्यादातर उनकी भूख या नींद को ही समझा जाता है| पर जब शिहू अचानक ही बहुत ज्यादा लगातार रोये तब पूरा परिवार परेशान हो जाता है| बच्चे के लगातार रोने का एक कारण उसके पेट में दर्द भी हो सकता है| आज इस आर्टिकल में हम शिशु के पेट में दर्द होने के कारण और निवारण के विषय में बात करेंगे:

शिशुओं या छोटे बच्चों में पेट दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं| आगे इस लेख में पेट दर्द के विभिन्न कारणों के साथ उसकी पह्चान कैसे करें और उस स्थिति में घरेलु उपचार कैसे दें, इसकी विस्तृत जानकारी है| आइये पढ़ते हैं:

1. गैस बनना

शिशुओं में पेट दर्द का सबसे आम कारण है पेट में गैस बनना| पेट में गैस बनने से बच्चे के पेट में बहुत तेज दर्द उठता है और बच्चा बहुत जोर-जोर से रोने लगता है|

पहचान

जब भी बच्चा जोर-जोर से रोये तो आप सबसे पह्ले आप उसके पेट में गैस होने की पहचान करें|| गैस से शिशु का पेट कड़ा हो जाता है| उसके पर अपनी दो उँगलियों से मारें| यदि टक-टक की आवाज आये तो समझ जाये की उसे गैस की समस्या है| बच्चे के रोने से परेशान न हों और नीचे दिए गये उपचारों से उसका इलाज करने की कोशिश करें|

शिशुओं में गैस का घरेलू उपचार

यह जो घरेलु नुस्खे बताये जा रहे हैं वे बहुत ही असरदार हैं और आपके शिशु को इनसे शत प्रतिशत लाभ मिलेगा:

  • सबसे पहले गर्म पानी में आधा चम्मच हींग मिलाएं और बच्चे की नाभि में और नाभि के पास पेट पर मल दें| नाभि में हींग लगाने से पेट दर्द में बहुत जल्दी आराम मिल जाता है और पेट से गैस निकल जाती है|
  • एक चम्मच गुनगुने पानी में चुटकी भर हींग घोल क्र शिशु को पिलायें|
  • एक चम्मच अजवाइन एक कटोरी पानी में उबालें| यह पानी गुनगुना करके पांच से छह चम्मच शिशु को पिला दें| इस पानी में भी आप हींग मिला सकते हैं| यह पानी गैस में बहुत असरदार होता है| इसके सेवन से गैस पास होने लगती है और दर्द कम होने लगता है|
  • एक कपडे में हींग और अजवाइन डाल कर पोटली बनाएं और तवे पर गर्म कर के शिशु के पेट को सेंके| इस गर्म सेंक से दर्द में बहुत लाभ मिलता है|
  • सरसों के गुनगुने तेल से पेट से मसाज करने से दर्द कम हो जाता है|
  • बच्चे को अपने कंधे पर लिटा कर डकार दिलवाने की कोशिश करें| कभी-कभी गैस मुंह के रास्ते भी निकल जाती है|
  • बच्चे को उल्टा लिटा कर पीठ पर मसाज करने से भी गैस पास हो जाती है|
  • बच्चे को सीधा लिटायें और उसके पैरों को एक साथ मोड़ कर उसके पेट पर दबाव दें| इस एक्ससरसाइज का उद्देश्य पेट से गैस को रिलीज करवाना होता है|
  • यदि शिशु स्तनपान करने वाला है तो उसके पेट में गैस होने का एक कारण उसकी माता का आहार भी हो सकता है| इसलिए स्तनपान कराने वाली माताओं को गरिष्ठ एवं मसालेदार भोजन से बचना चाहिए और हमेशा भोजन के बाद अजवाइन और सौंफ का सेवन करना चाहिए| इससे उनका दूध पाचक हो जायेगा और शिशु को गैस की समस्या नहीं होगी|

2. बदहजमी

बदहजमी या अपच होने होने के कारण भी बच्चे के पेट में दर्द हो सकता है| अपच से बच्चा परेशान हो सकता है और दर्द से रो सकता है|

पहचान

यदि बच्चा बेचैन होने के साथ उल्टी करे और सही ढंग से दूध न पिए तो हो सकता है उसे बदहजमी हुई हो| इसलिए बच्चे का पाचन दुरुस्त रखने के साथ स्तनपान कराने वाली माताएं भी सुपाच्य भोजन ग्रहण किया करें जिससे बच्चे को अपच जैसी समस्या का शिकार न होना पड़े|

शिशुओं में बदहजमी का घरेलू उपचार

  • ऊपर बताये गये अजवाइन और हींग का पानी शिशु को पिलायें| इससे शिशु का पाचन दुरुस्त होगा|
  • बच्चे को एक चम्मच गर्म पानी में नीम्बू की कुछ बूंदे और चुटकी भर कला नमक मिला कर दें|
  • ग्राइप वाटर पिलाने से बच्चो को बदहजमी में आराम मिलता और इसके सेवन से गैस की समस्या भी ठीक होती है|
  • शिशु को जबरदस्ती दूध न पिलायें|
  • सौंफ को इसकी पाचकता के लिए जाना जाता है| एक चम्मच सौंफ को अधि कटोरी पानी में उबाले और यह पानी गुनगुना कर के शिशु को पिलायें|
  • कभी-कभी शिशु एक साथ बहुत ज्यादा दूध पी लेते हैं और इससे भी उन्हें बदहजमी हो जाती है| इसलिए बेहतर होगा कि आप उकी दूध ग्रहण करने की मात्र का ध्यान रखें|
  • कभी-कभी बच्चे बहुत जल्दी-जल्दी दूध पीने लगते है जिसके कारण वे काफी मात्र में हवा भी पी जाते हैं जिसके कारण उन्हें अपच या गैस हो सकती है| इसलिए जब भी आपका शिशु ऐसा करे आप तुरंत उसे रोकें|

3. कब्ज होना

जी हाँ छोटे बच्चों में भी कब्ज हो सकता है| शिशुओं में पेट अच्छे से साफ़ न होने पर कब्ज हो जाता है जिससे पेट में मरोड़ उठता है और दर्द भी हो जाता है|

पहचान

यदि आपका बच्चा पॉटी करते समय बहुत प्रेशर लगता है या उसका पेट एक बार में साफ़ नहीं होता है तो हो सकता हा उसे कब्ज की शिकायत हो| यदि बच्चा दूध पीने में या खाने में आनाकानी करे और उसे उल्टियां भी हो तो भी कब्ज की समस्या प्पह्चानी जा सकती है| बच्चे के खाने और पॉटी करने के पैटर्न पर ध्यान दें और कब्ज की समस्या की पहचान करें|

शिशुओं में कब्ज का घरेलू उपचार

  • अपने शिशु के आहार में तरल पदार्थों की भरपूर मात्रा शामिल करें| सूप, जूस और दाल का पानी पिलायें| यदि शिशु छह माह से ऊपर का है तो उसे पानी भी पिलाना चाहिए| तरल पदार्थों के सेवन से कब्ज होने की संभावना नहीं होती|
  • शिशु को हल्का और सुपाच्य भोजन ही खिलाएं|
  • बच्चों को फाइबर युक्त भोजन खिलने के लिए दाल, खिचड़ी, दलिया बनाते समय उसमे विभिन्न सब्जियां डालें| इससे भोजन की पौष्टिकता, स्वाद और सुपाच्यता सभी में बढ़ोत्तरी हो जाएगी|
  • यदि आपका बच्चा छह माह से ऊपर का है तो उसे दिन में कई बार पानी पिलायें| भोजन को पचाने और पेट को साफ़ रखने के लिए शिशुओं को भी पानी की उचित मात्रा की आश्यकता होती है\
  • भोजन में हींग और अजवाइन का प्रयोग करें|
  • यदि बच्चे को कब्ज हो गयी है तो उसे अजवाइन का पानी पिलायें|
  • उसके पेट पर और पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ हलके हाथ से मसाज करने से भी पॉटी हो जाएगी|
  • बच्चे को गर्म पानी पिलाने से भी उसका पेट साफ़ हो जायेगा|
  • बच्चे को आप ओट्स खिलाएं| ये पौष्टिक होने के साथ इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है|

जब भी आपका शिशु सामान्य से ज्यादा रोने लगे तब उसका इशारा समझें और उसकी परेशानी की जांच करें और उसके अनुरूप उसका इलाज करें| यदि इन घरेलु इलाजों के बाद भी बच्चे को आराम नहीं आता या बच्चा फिर भी लगातार रोये तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएँ और उसका अच्छे से इलाज करवाएं| अपने शिशु का ध्यान रखें क्यूंकि शिशु खुश तो आप खुश!!

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