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किड्स टोडलर

कहा जाता है कि छोटे बच्चे कच्ची मिटटी होते हैं| उन्हें जैसे भी ढाला जाये वैसे ही ढल जाते हैं| बच्चे जो आदतें छोटी उम्र में सीखते हैं वही जीवन भर उनके साथ रहती हैं| और ये आदतें उनके व्यक्तित्व का निर्माण करने में सहायक होती हैं| इसीलिए छोटी उम्र से ही उन्हें अच्छे संस्कार और अच्छी आदतें सिखाना बहुत आवश्यक होता है|

आजकल परिवार में ज्यादा लाड़-प्यार मिलने पर बच्चे बिगड़ते चले जाते हैं और किसी की बात नहीं मानते| अपनी बात मनवाने के लिए बच्चे कुछ गलत आदतें जैसे चीखना-चिल्लाना, रोना, जिद करना आदि सीख जाते हैं| ये आदतें पहले तो माता-पिता को परेशान करती हैं और फिर बाद में बच्चे का भविष्य और व्यक्तित्व बर्बाद करती हैं| इसलिए आज एक सफल पैरेंट वही है जो अपने बच्चों की सभी ख्वाहिशों को पूरा करने के साथ उनमे अच्छे संस्कार के बीज भी रोपते हैं और उन्हें जीवन के संघर्ष-पथ पर चलने के लिए तैयार करते हैं|

तो आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में जिन्हें आपको अपने बच्चे में जरूर विकसित करनी चाहिए:

बड़ों का आदर करना

बच्चों में अपने से बड़े सभी लोगों का आदर-सम्मान करने की भावना शुरू से ही डालनी चाहिए| घर में जितने भी बड़े सदस्य हों उनके पैर छूना सिखाएं और उनका सम्मान करना सिखाएं| बच्चा जब दो साल का हो तभी से ये आदत उसे डलवानी चाहिए| इससे बच्चा घर के सभी लोग को तो आदर देगा ही बल्कि बाहर भी मिलने वाले सभी लोगो के प्रति उसका व्यवहार सम्मानपूर्ण रहेगा|

दूसरों की मदद करना सिखाएं

अपने छोटे बच्चों में दूसरों की मदद करने की अआदत विकसित करने के लिए घर के छोटे-मोटे कामों में उसकी मदद लें और इसके लिए उसकी प्रशंशा करें| ऐसा करने से वह न सिर्फ मदद करने में प्रसन्नता का नुभव करेगा बल्कि घर वालों के साथ बाहर के लोगों की भी मदद करना सीख जायेगा|

सिखाएं शेयरिंग

बच्चों को एक दूसरे से अपना सामान, खिलौने, चॉकलेट्स आदि शेयर करना शुरू से ही सिखाना चाहिए| बच्चे को इस बात को समझना आवश्यक है कि कोई भी चीज या सुविधा सिर्फ उसके लिए नहीं है| शेयरिंग सीखने से बच्चे एक-दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखना सीख जाते हैं और इससे उनके रिश्तों में मजबूती आती है|

ईमानदारी का पढ़ायें पाठ

बच्चों में छुटपन से ही ईमानदारी की भावना का विकास करें| यदि बच्चों में ईमानदारी की आदत होगी तो वह न कभी आपसे झूठ बोलेगा और न कभी कोई बात छुपायेगा| यदि उससे कोई गलत काम हो भी जाता है तो आपको बताने में वह संकोच नहीं करेगा|

सब्र रखना सिखाएं

आजकल बच्चे बहुत जिद्दी हो गए हैं| उन्हें हर चीज तुरंत चाहिए होती है जिसके कारण पेरेंट्स भी परेशां हो जाते हैं और उनकी पिटाई कर देते हैं| बच्चों की डिमांड पूरी करने से पहले उन्हें इंतज़ार करना सिखाएं| उन्हें ये बतलाएं कि सब्र का फल हमेशा मीठा होता है|

प्रार्थना करना सिखाएं

ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ाने हेतु उन्हें प्रार्थना करना सिखाएं| प्रार्थना करने से बच्चों में एकाग्रता और सकारात्मकता का विकास होता है\

धन्यवाद करना सिखाएं

छोटे बच्चों को सबका धन्यवाद करना सिखाएं| इससे बच्चों में दूसरों के प्रति सम्मान की भावना विकसित’ होगी| घर के सदस्यों के साथ-साथ भगवान्, प्रकृति और जो भी हमे अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं, उन सभी का धन्यवाद करना सिखाएं|

अपनी गलती स्वीकार करना सिखाएं

बच्चे तो नासमझ होते ही हैं और कुछ न कुछ गलती तो करते ही रहते हैं| उनके गलती करने पर उन्हें दांते-मारें नहीं बल्कि उन्हें प्यार से समझाएं और उन्हें अपनी गलती स्वीकार करना और सॉरी बोलना सिखाएं|

सही और गलत में भेद करना सिखाएं

बच्चा जब भी कोई अच्छा काम करे तो उसकी प्रशंसा करें और यदि कोई गलती करे तो उसे समझाए| इससे बच्चा सही और गलत में अंतर करना सीख जायेगा| उसे आचे और बुरे व्यवहारों और उसके परिणामों के विषय में भी समझाएं|

अपने सामान को सही जगह रखना सिखाएं

बच्चों को अपने सामान जैसे खिलौने, बुक्स-कॉपी आदि को उसके इस्तेमाल के बाद उसकी सही जगह पर रखना सिखाना चाहिए| इससे बच्चों में शुरू से ही व्यवस्थित जीवन जीने की आदत पड़ जाती है|

टाइम की वैल्यू करना सिखाएं

बच्चों को अपना काम समय पर करना सिखाएं| बच्चे खेलने के चक्कर में पढ़ाई करना और समय से खाना-पीना भूल जाते हैं| बच्चे की इस लापरवाही की आदत को दूर करवाएं और समझाएं कि समय की कद्र करने से ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है|

साफ़-सफाई की डालें आदत

बच्चों में साफ़-सुथरे रहने और अपने आस-पास की चीजों को साफ रखने की आदत विकसित करना चाहिए| बच्चों को अपने हाथों को साफ़ रखना, खांसते या छींकते वक़्त मुंह ढंकना, हाथ धोकर खाना आदि स्वच्छता के नियम सिखाये जाने चाहिए|

बच्चों को हमेशा अच्छी आदतों के लिए प्रोत्साहित करें और जब कोई अच काम करें तो उनकी प्रशंसा करें और उन्हें गिफ्ट्स दें जिससे वे अची आदतों को अपनाने के लिए और भी तत्पर हों| बच्चों के सामने स्वयं भी अची आदतों को अपना कर उदाहरण प्रस्तुत करें जिससे वे आपको देख कर उन आदतों को अपना सकें| कुछ मोरल वैल्यूज को सिखाने के लिए आप कहानियों का सहारा लें| बच्चे कहानियों के माध्यम से बहुत सी बातें आसानी से सीख जाते हैं|

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